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अगस्त, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

Social media और मानव में संबंध भाग - 03

 Hey Dosto! आप सभी का स्वागत् है, हमारे easygyaan10 blog में। तो दोस्तों आज हम जानेंगे की ये सोशल मिडिया और मनुष्य में क्या संबंध है, सोशल मीडिया ने मानव जीवन में बहुत बड़ा परिवर्तन लाया है और इसके साथ-साथ मानव-मानव संबंधों पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है। यह नए संचार के ढंगों को प्रोत्साहित करता है, लेकिन कुछ दुष्प्रभावों के साथ साथ आने वाले चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है। सकारात्मक पहलुओं में, सोशल मीडिया ने लोगों के बीच संवाद को सुगम और त्वरित बना दिया है। लोग अपने दोस्तों, परिवार, और समुदाय के साथ अब भी संपर्क बनाए रख सकते हैं, भले ही वे भौतिक रूप से दूर हों। इससे लोग आपसी रिश्ते मजबूत कर सकते हैं और समय के साथ अपने परिवार और मित्रों के साथ अच्छी तरह से जुड़ सकते हैं। सोशल मीडिया ने विभिन्न समुदायों को एकत्र किया है और उन्हें अपने इंटरेस्ट्स और धार्मिक या सामाजिक उद्देश्यों के अनुसार गुणवत्ता सम्पन्न जानकारी साझा करने का मौका दिया है। इससे लोग विश्वास और सम्मान के साथ समूहों में शामिल हो सकते हैं, जो उनके सोच, मूल्यों, और दृष्टिकोण के साथ मिलते हैं। हालांकि, यहां कुछ चुनौतियाँ भी

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Marriage vs Love शादी और प्यार में क्या अंतर है?

Hey Dosto! बहुत simple है, कोशिश करना। इसे समझने की। तो शादी और प्यार में क्या अंतर हैं ? शादी हम उस इन्सान के तीन अवतार से करते है। चाहे वो लड़का हो या लड़की। 1. जैसा आप, उसे सोच रहे हो, उससे। 2. शादी के बाद वो कैसे होने वाली है या फिर होने वाला है, उससे। 3. और जो वो Actual में है, उससे। ठीक है जो शादी करेगा या फिर इस Relationship में जायेगा तो ये तो होगा ही। लेकिन प्यार, 1. जैसा आप उसे सोच रहे हो, अगर आपको उससे प्यार है।  तो आप उसे कभी खुश नही रख सकते। Expectation पूरी नही होगी, क्योंकि कोई भी Perfect नही है। न आप न हम। 2. और शादी के बाद वो जो है, अगर आपको उससे प्यार है।   तो आप उसकी सभी इच्छा को पूरी नही कर सकते।   क्योंकि Desire (इच्छा) का कोई End नही है।   हाँ लेकिन ये भी जरूरी है जहाँ तक Possible है। 3. अगर आपको, वो जो Actual में है। उससे प्यार है।  तो यहाँ पर प्यार का कोई End नही है। इसे, उसे समझाना नही है। वो समझ जायेगी, पहले आप समझ गए तो। ये गलतफैमी है की प्यार के लिए कोई समझ नही चाहिए। प्यार के लिए इतनी समझ चाहिये, जिसकी कोई हद नही है। और वही इं

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Yes or No ? ज्यादा Important क्या है? हाँ बोलना या न बोलना।

Hey Dosto! सभी चीजो में हाँ बोलना ठीक नही है। हाँ बोलने का भी, और न बोलने का भी ये दोनों Quality हमारे अंदर होनी चाहिए। लेकिन ज्यादा important क्या है ? कभी सोचा है ? Yes बोलना या फिर No बोलना। No....सही कहा। अगर आपको न बोलना ही नही आता। तो दुनिया आपके साथ क्या करेगी? आपका Use करेगी। अपनी जो इच्छा है, उसे पूरा करने के लिए। इसका मतलब ये नही है कि सबको No.... वो तो आपको देखना है, वो भी हाँ बोलने से पहले। क्या मैं इस काम को क़र सकता हूँ। क्या ये काम सही है? क्या इस काम में मेरा मन है भी, या नही। जैसे ही अंदर से आये हाँ.... तो कर दो। या फिर आपका मन ही नही था। तो बाद में परेशानी आपको ही होगी। तो ज्यादा घुमा फ़िरा के बाद नही करनी है। Direct सच कह देना है, नही तो नही। और कुछ काम बहुत जरूरी होता है, जिसमे Yes और No matter नही करती। वो तो आपको करना ही होगा। बशर्ते उस काम से, किसी के साथ गलत न हो। और पढ़े:- आप अनोखे हो। You are Unique. अनुमान या तय करना और स्वीकार करना क्या है?     Thanks, for read. love u all. #jpnetam.

Who is The Genius ? समझदार कौन है?

Hey Dosto! एक समझदार इंसान आप किसे कहोगे? एक किताबी कीड़े को, नही। जो केवल School और College से सीखा हो। बिल्कुल नही। तो कौन है समझदार ? Who is The Genius ? जिसकी ज़िन्दगी में, जितनी ज्यादा गड़बड़ हुई है। Health से Related, Career से Related, Relationship से Related और Happiness. अगर उन गलतियों से, उसने कुछ सिख लिया है। तो आज के date में वह उतना ही ज्यादा समझदार है। जो गलती करके उस गलती को बार बार करे और उससे कुछ न सीखे उसे आप क्या कहोगे ? बेवकूफ। लेकिन जो गलती करके उससे कुछ सिख ले तो आप उसे क्या कहोगे? होशियार है। लेकिन अगर कोई दुसरो की गलती से सीखे मतलब गलती करने से पहले ही सिख जाये। और वो गलती करे ही न। उसे आप क्या कहोगे? GENIUS और क्या..। Thanks, for read. love u all. #jpnetam.

What is Life? ज़िन्दगी क्या है? Life is Love. ज़िन्दगी, प्यार है। और प्यार ही ज़िन्दगी है? ##part 01

Hey Dosto! What is life?  Life is love. Love is not I & not You. Love is Only We. This is only solution of all problems of our life in internal world. Because, Love is understanding, Understanding is knowledge, Knowledge is freedom, Freedom is Happiness  & Happiness is You. तो ज़िन्दगी क्या है? ज़िन्दगी प्यार है। प्यार ,मैं (नाम) और तू (लोग,दुनिया) नही है, प्यार केवल हम (सब एक है) है। यही एक मात्र समाधान है, हमारी ज़िन्दगी के अंदर की दुनिया की सारी समस्याओ का। क्योंकि प्यार, समझ है। और समझ ही ज्ञान है। ज्ञान ही मुक्ति है। और मुक्ति (आज़ादी) ही ख़ुशी है। और वो ख़ुशी, आप हो। खुद को जान लेना ही, प्यार है।  इसके बाद आपके लिए न तो कोई समझ प्यार है, और न ही कोई ज्ञान।  ये तो सिर्फ रास्ते थे, यहाँ तक पहुँचने के। कि वो प्यार, वो ख़ुशी, वो ज़िन्दगी आप हो, हम है।  और " मैं हूँ"। अगर आप इसे समझ पायो, जिसे समझना कोई बड़ी बात नही है। और इस level से Act करो। then वहाँ पर जो कुछ भी होगा, जो कुछ भी होगा।  That is your Real Lo

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What is Right & Wrong? सही और गलत क्या है?

Hey Dosto!     अगर Reality को समझा जाये, तो सही और गलत का कोई परिभाषा नही है।     हो सकता है, आपके लिए जो सही हो,     वो सामने वाले के लिये गलत हो।     और सामने वाले के लिए जो सही हो,     हो सकता है वो आपके लिये गलत हो। सारा खेल नजरो का है। सोच का है और सच का। कोई दूसरा आपके नजरो में गलत क्यों है?  क्योंकि वो आपकी सोच,समझ और Believe के दायरे के बाहर Act कर रहा है। ठीक इसी तरह, और आप दुसरो के नज़रो में गलत क्यों हो? क्योंकि आप भी दुसरो के सोच, समझ और Believe के दायरे के बाहर Act कर रहे हो। तो दोनों गलत भी हो सकते है और सही भी। life में सबकुछ थोड़ा सही भी है और सबकुछ थोड़ा गलत भी है। अगर हम उससे कुछ सिख रहे है तो। अगर उससे कुछ सिख रहे हो, तो बुरा से भी बुरा आपके लिए अच्छा है। और अगर नही सिख रहे हो, तो अच्छा से भी अच्छा आपके लिए बुरा है।  मतलब क्या? मैं सही, तो आप गलत। और आप सही, तो मैं गलत।   लेकिन अगर आप इन दोनों को  मतलब सही और गलत को छोड़कर,  जब देखते हो कि  सच क्या है? तो You are Right...forever और कुछ नही। और पढ़े:- सीखना और सिखाना Le

अपने असफलता से कैसे deal करे।

Hey dosto! चलो फेल तो होना ही था, हो गये। फिर हम उसके बाद क्या करते है? नंबर वन हमे बुरा लगता है। और हम blame करने लगते है कि मैं न इसकी वजह से फेल हुआ। मैं न उसकी वजह से ये नही कर पाया...वगेरा वगेरा। क्या हम अपने फेलियर को पूरी तरह से Accept करते है या फिर भागते है, अपने फेलियर से। क्या ये सही है? क्या हम अपने फेलियर को ढंग से deal करते है। तो क्या करे? अपने फेलियर को कैसे deal करे....। इसका पहला step है, उसे पूरी तरह से face करना। भागना नही। की देखता हूँ, ये फेलियर क्या है? चल देखता हूँ कि कौन फेल हुआ है। दूसरी चीज है, Accept करना। स्वीकार करना। हाँ मैं फेल हो गया हूँ। इस चीज में, life में नही। तीसरा step है, उससे सीखो learn it.....कि हाँ मैं busy था, mobile पे, किसी ने कुछ कह दिया, उसका बुरा मानने पे। और अपने ख़्यालो की दुनिया में। अगर इस गलती से आपने कुछ नही सीखा। और वही  गलती दुबारा की। तो फिर से गैरेंटेड फेल होंगे। और सबसे last step है। Grow on...आगे बढ़ो। अगर आपने अपने फेलियर को पूरी तरीके से देखकर उससे कुछ सिख लिया। तो आप देखोगे की मैं पहले से grow कर चु

Learning & Sharing सीखना और सीखाना(बाँटना)

Hey Dosto! यार सीखना और सिखाना तो हमे पता है। इसमे नई बात क्या है? कुछ भी सिख कर किसी को सिखाना ही तो learning & sharing है। हाँ आप सही हो। लेकिन ये सिर्फ सीखने वाले की नजर है। सीखाने वाले की नही। Share सिर्फ वही कर सकता है, जो learn कर सकता है। बिना learn के हम किसी को क्या share करेंगे। या फिर वो Sharing सिर्फ नाम की होगी,काम की नही। देखा जाये तो आपको कोई सीखा नही सकता..., इस पूरी दुनिया में। जब आप उसे खुद से नही सीखोगे तब तक। इसलिये सिखाने वाले का कोई महत्व नही होता है। केवल सिखने वाले का महत्व होता है। लेकिन अगर सिखाने वाला भी सिख रहा हो। जो लगता है की सीखा रहा है और सिखने वाले भी सिख रहे हो। अगर दोनों ही सिखने वाले हो। तो इसे Real sharing कहेंगे। क्योंकि अब दोनों ही Grow करेंगे। और आगे बढ़ेंगे। That is Real Learner..... Thanks, for read. Love u All. #jpnetam.

Judgement vs Acceptance....अनुमान लगाना या तय करना vs स्वीकार करना।

Hey Dosto! हम आजकल इतने judgemental हो गए है, judge मतलब अनुमान लगाना, तय करना। कि हम किसी से भी मिलते है, तो हम judge करने लगते है। कि तुम्हारे अंदर ये अच्छा है और तुम्हारे अंदर ये बुरा है। लेकिन हर कोई चाहता है, की आप उसे सुने, समझे और अपने आप को उसकी जगह पर रखकर देखे। तो आप उस इंसान को अपने आप ही like करने लगोगे। वो इन्सान आपको अच्छा लगेगा। क्या हमे जो judge करते है, वो अच्छे लगते है या फिर हमे जो Accept करते है, वो अच्छे लगते है। Acceptance का मतलब क्या ? जो हमे judge न करे। हम जैसे है, वैसे ही Accept क़र ले। हम पर लेबल न लगाये की तुम्हारे अंदर ये अच्छा है। तुम्हारे अंदर ये बुरा है। क्योंकि लेबल लगाने का हक़ आपको तब है, किसी के ऊपर जब आप खुद Perfect हो। जरा सा भी किसी के बारे कुछ सुन कर हम तुरंत लेबल लगा देते है की यार ये कितना घटिया आदमी है। मैं क्या क्या सोचता था इसके बारे में...। क्या आप बहुत बढ़िया आदमी हो? क्या आपने कभी कुछ गलत नही किया,अपने life में। सोचा है कभी। तो Acceptance मतलब क्या? कि मेरे में भी बहुत कुछ गड़बड़ है और बहुत कुछ सही है। ऐसे ही सामने वाले

You are Unique...आप अद्वितीय हो। किसी से तुलना मत करो। आप जैसा दूसरा और कोई नही।

Hey dosto!  कभी कभी हम खुद की तुलना करने लगते है, दूसरे से, किसी situations से या फिर अपने आप को अपने आप से। क्या ये सही है? क्या ये जरूरी है? या फिर ये समझना जरूरी है। की अगर कोई मछली, पंछी को देखकर ये सोच रही है की यार उड़ने में बहुत मजा आता होगा। मुझे भी उड़ना है। तो क्या ये सही है? या फिर उस मछली को ये बात समझ आना चाहिए की वो उड़ने के लिए बनी ही नही। इसका मतलब क्या? वो उससे कम है, अरे नही। उसकी अलग life है, इसकी अलग life है। उसकी nature अलग है, इसकी nature अलग है। वो अलग करैक्टर है, ये अलग करैक्टर है।उस पंछी की भी अलग मस्ती है और इस मछली की भी अलग मस्ती है। तो मस्त रहो। आपको किसी के जैसा बनना नही है, अपने जैसा बनना है। और आपसे better आपको कोई नही जानता। तो you are Unique... आप अनोखे हो, किसी से तुलना मत करो।आप जैसा दूसरा और कोई नही। और आप किसी से कम नही। Important क्या है? बाहर से कुछ बनना, किसी के नजरो में उठना या दुसरो को दिखाना। या फिर Important ये है की मैं अंदर से क्या बन रहा हूँ, अभी क्या feel कर रहा हूँ। और अभी क्या सोच रहा हूँ। That is Most Impo