Hey Dosto!
आप सभी का स्वागत् है, हमारे easygyaan10 blog में। तो दोस्तों इसके पिछले भाग में हमने पढ़ा था, एक काल्पनिक कहानी के बारे में। जो बहुत Interesting है। वैसे तो लाइफ को कोई प्यार कहता है। या पैसा या ख़ुशी। पर इसका इशारा तो ज़िन्दगी को खुल कर जीने की तरफ है बिना डर के । पर आप इसे कुछ भी कहे। ज़िन्दगी तो एक ज़िन्दगी ही है। बिल्कुल एक किताब की पन्ने की तरह जिसमे चाहे कोई कुछ भी लिख दे एक दिन इसे ख़तम होना ही है। तो अब हम इसी को आगे बढ़ाते हुए एक Real Life Example लेते हैं या एक रियल Situation लेते है।
एक Dance Compition हो रहा है, चार Contestants है। चारो एक ही जैसा Dance करते है। Technic से देखे तो एक ही जैसा सीखे हुये है। एक ही गुरू से सीखे हुए है। बिल्कुल चार फाइनलिस्ट। एक जो है वो Dance करने वाला है...फाइनल है। या तो हार है या जीत है। एक जो Dance करने वाला है, जो पहला है.., जजेस को खुश करने के लिए, Audiunce(Public) को खुश करने के लिए। उसका यही मकसद है। किसी भी तरीके से जजेस को खुश कर दूँ। Audience को खुश कर दूँ। तो मज़ा आ जायेगा। मैं जीत जायूँगा। उसके चारो तरफ क्या होगी, दीवारे होगी। ये दीवारे किस चीज की होगी। डर की दीवारें...। अगर जजेस खुश नही हुए तो क्या होगा। Audience खुश नही हुई तो क्या होगा। मैं तो हार जायूँगा। मैं तो जमीन पर चला जायूँगा। वापस से उसी दुनिया में चला जायूँगा। जहाँ से Travel करते करते एक साल लगाकर मैं यहाँ तक पहुँचा हूँ। वापिस वही गिर जायूँगा। मतलब यहाँ तक तो आ गया, लेकिन डर भी उतनी ही बड़ी है। दीवारें भी उतनी बड़ी है, चारो तरफ से।
दूसरा आदमी वो आज Perform करने वाला है। अपने बाकी के जो Contestent है, उन्हें हराने के लिए। और उनसे जितने के लिए। उसके चारो तरफ क्या होगी? दीवारे होगी। वो उनको हराने के लिये Dance करना चाहता है। उनसे जितने के लिये डांस करना चाहता है। उसे तीन को हराना है। लेकिन अब उसे तीन को हराने के लिये दीवार खड़ी हो गयी है। अगर मैं तीनो को हरा नही पाया तो क्या होगा। 3 पर अटक गया तो क्या होगा। 4 में रह गया तो क्या होगा। तो क्या हुआ, अटक गया वो। उसके आस पास दीवारे ही दीवारे है.., अन्धेरे में नाचने वाला है वो।
तीसरा आदमी, जो तीसरा फाइनलिस्ट है। वो डांस करने वाला है, उसको कोई फर्क नही पड़ता जजेस का। उसको कोई फर्क नही पड़ता Audience का। उसको कोई फर्क नही पड़ता बाकि Contestent का। लेकिन उसे फर्क पड़ता है, अपने वो Last Performance का जो उसने सेमी फ़ाइनल में उसने करी थी। उसके हिसाब से वो उसकी Best Performance थी। उसके हिसाब से, उसने फाइनल के लिए उसे बचाकर रखी थी। और सेमी फ़ाइनल में उसने कर दी। उसका Best Dance उसने कर दिया। लेकिन अब उसको आज नाचना है, अपनी उस Performance को पीछे करने के लिये, मतलब की उसको उससे Better Perform करना है। क्या है उसकी चारो तरफ दीवारे ही दीवारे है। किस चीज के दीवारे है, डर की दीवारे। अगर आज मैं अपने सेमी फ़ाइनल के Performance से Better Perform नही कर पाया तो मेरा क्या होगा। तो क्या हुआ, गिरा वही। गिरा वापिस से जाकर उसी दुनिया में। जहाँ कोई जाना नही चाहता।
चौथा Contestent... वो कहता है, जजेस गई तेल लेने। Audience गई भाड़ में। बाक़ी Contestent से मुझे कोई फर्क नही पड़ता। भगवान करे उसमे से जिसको जीतना है..जीत जाये। मुझे कोई फर्क नही पड़ता। जिसको हारना है...हार जाये। मुझे हारना है... तो मैं हार जायूँ। मुझे कोई फर्क नही पड़ता, न तो मुझे मेरी कोई पुरानी Performance याद है। मैं तो भाई बस इसलिये नाचने वाला हूँ। क्योंकि नाचना मेरे लिए खेल है और खेल मेरे लिए ज़िन्दगी है।
मैं आज सिर्फ नाचने वाला हूँ अपने लिये। सिर्फ और सिर्फ अपने ख़ुशी के लिए। और जब मैं नाचूँगा। तो मुझे कोई फर्क नही पड़ता के मेरे आस पास कौन बैठा है या नही बैठा है,कौन जीतेगा या नही जीतेगा। तो कोई दीवारे है उसके पास। अरे है ही नही... कोई डर ही नही है न उसको। न उसको हारने का डर, न जीतने का लालच। वो तो कहता है बस आज का दिन है मेरे पास में... आज जो मुझे करना है वो तो मैं कर जायूँगा। मुझे कोई परवाह नही कि क्या होता है या नही होता है।
और देखा जाये तो एक Actor है, जो अपनी ही Acting को 20 सालो से हराने की कोशिश कर रहा है। लेकिन एक Actor है जो सिर्फ Acting कर रहा है। उसे कोई फर्क नही पड़ता। तो कौन जीतेगा End में...। तो जो नही जीतना चाहता...., वही जीतेगा।
Thanks for read.
Love you All
#jpnetam.
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